हमारे कश्मीर की धरती ,रानी भारत देश की
हमारे कश्मीर की धरती ,रानी भारत देश की

 हमारा कश्मीर 

( Hamara kasmir )

 

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

1.वो कश्मीर की यादें, वो सुनहरी वादियाँ |
हो रही हों जैसे, बर्फीले पर्वतों की शादियाँ |
वो ऊँचे लंबे सीधे-साधे , ब्रक्ष हरे देवदार है |
बर्फ से लदे पत्ते, मानो कश्मीर मे त्योहार है |

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

2. वो बाग बगीचे सेब के, लहरती फुल-बारियाँ |
केसर की खुशबू बिखेरे, केसरी वो क्यारियाँ |
जड़ी-बूटियाँ संग बर्फ के, सोंधी खुशबू बांटतीं |
जर्रे-जर्रे बर्फ बिखरी , हर कली को जांचतीं |

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

3. पत्तों की सुनहरी छटा, बर्फ से ढंकी पाहडियाँ |
सफेद चादर सी चमक , उस पर चलती गाडियाँ |
ढ़ल रहा अब सूर्य भी, आगमन है चाँद का |
क्या बताऊँ वो नजार , कश्मीर की शाम का |

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

4. पर्वतों पर बर्फ बिखरी, खिल रही है चांदनी |
मन्द-मन्द चलती हवाएं , गा रही हैं रागनी |
तन -बदन कंपने लगा, नृत्य रुए करने लगे |
बने गिटार दांत हमारे, पैर भी थिरकने लगे |

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

5. सुबह हुई फिर सूर्य भी, किरणे बिखेर कर छा गया |
छोडी राजई उठ गए हम, थोड़ा सुकून तो आ गया |
वो वादियाँ कश्मीर की, बर्फ झीलें जच गईं |
वर्षों गुजरे फिर भी यादें, आँख दिल मे छप गईं |

–> हमारे कश्मीर की धरती , रानी भारत देश की ||

 

लेखक—–> सुदीश कुमार सोनी (जबलपुर )
मो.9770740776

 

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