भारत के हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड के नाम से बुलाते हैं । बॉलीवुड को पॉपुलर बनाने और यहाँ तक पहुचाने में महिलाओं का भी काफी योगदान रहा है । उस समय महिलाएं सामाजिक बंधनों को तोड़कर हिंदी सिनेमा में और इस मुकाम पर पहुचाया । अगर वो आगे उस वक्त न आती तो बॉलीवुड में इतना खुलापन न आ पाता । आजादी के बाद एक वक्त ऐसा था जब महिलाओं का घर से निकलना भी सही नहीं माना जाता था ।

उस दौर में जब हिंदी सिनेमा की शुरुआत ही हुई थी तब महिलाओं के किरदार भी पुरुषों द्वारा ही निभाए जाते थे और फिर महिलाओं ने समाज की बंदिशे तोड़ी और फिल्मों में अभिनय करने का फैसला लिया था । आज हम कुछ उन महिलाओं के बारे में जानेंगे जिन्होंने बॉलीवुड में महिलाओं के अभिनय की शुरुआत की थी और नीव रखी थी ।

 

देविका रानी भारतीय सिनेमा बॉलीवुड की पहली हीरोइन देविका रानी को कहा जाता है । देविका रानी का संबंध मशहूर कवि व नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर से रहा है   रवीना टैगोर उनके चचेरे परदादा थे ।

देविका रानी के पिता सर्जन जनरल के पद पर थे उनका परिवार काफी पढ़ा लिखा था इसलिए परिवार में ज्यादा बंदिशों में नहीं रखा गया । हिमांशु राय ने देविका रानी को लाइट ऑफ एशिया नाम के अपने पहले प्रोडक्शन के लिए देविका रानी को डिजाइनर के रूप में नियुक्त किया और फिर 1929 में उनसे शादी कर ली ।

इसी दौरान हिमांशु ने फिल्मे बनाने का काम शुरू किया और देवरानी को बतौर अभिनेत्री मौका दिया ।  देविका रानी ने 1933 में आई फिल्म कर्मा से डेब्यू किया था । देविका रानी की बेहतरीन अदाकारी की वजह से लोगोंउन्हें स्टार सितारा भी कहने लगे थे और इस तरह से देविका रानी बॉलीवुड की पहली महिला हीरोइन बनी ।

 

 राजकुमारी दुबे – हिंदी सिनेमा में 1936 में देवदास नाम की फिल्म है जिसमें राजकुमारी देवी ने समाज की बंदिशों को तोड़ते हुए चंद्रमुखी का किरदार निभाया और साथ ही गाने गाए ।  थ्रिएटर में एक्टिंग की और फिर फिल्मों में काम किया । जिस वक्त राजकुमारी दुबे ने फिल्मों में काम करना शुरू किया था, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 15 साल थी ।

उन्होंने मात्र 10 साल की उम्र में ही स्टेज पर गाना गाना शुरू कर दिया था । राजकुमारी दुबे निर्माण, पाकीजा जैसे सैकड़ों फिल्मे की और फिल्मों में गाने गाए हैं । इन्होंने हिंदी ही नहीं बल्कि गुजराती और पंजाबी भाषा में भी गाने गाए हैं । राजकुमारी ने एक चाइल्ड एक्टर के रूप में राधेश्याम और जुबली हंस फिल्म में काम किया था । राजकुमारी देवी का निधन सन 2000 में मुंबई में हुआ ।

सुरैया – सुरैया को बॉलीवुड में एक अलग ही पहचान मिली , उन्होंने उस समय समाज के बंदिशों को तोड़ते हुए हिंदी सिनेमा में काम करना शुरू किया था । सुरैया बानो एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती थी इनका जन्म 15 जून 1929 को पंजाब में हुआ था । सुरैया का अभिनेता देवानंद से प्यार के चर्चे भी होते थे । इसी बीच देवानंद ने सुरैया से शादी करने की बारे में सोचा और शादी करने का फैसला किया लेकिन बात नही बनी और सुरैया आजीवन कुंवारी ही रही ।

लेकिन सुरैया का हिंदी सिनेमा में अभिनेत्री बनना और पूरी जिंदगी शादी करना करने का फैसला भी अपने आप में एक बड़ा फैसला था । सुरैया को उनके टैलेंट के लिए मल्लिका ए तरन्नुम खिताब से भी नवाजा गया था । सुरैया की मृत्य 31 जनवरी 2004 को हुई ।

दुर्गा खोटे – दुर्गा खोटे को उनकी बेमिसाल अभिनय के लिए काफी सराहा जाता है । दुर्गा का सबसे बड़ा यह फैसला नहीं था कि उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया बल्कि उनका सबसे बड़ा फैसला आया था कि उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी पसंद के लड़के से शादी की थी । हालांकि उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं था जिसके बारे में उन्होंने मराठी भाषा में लिखी अपनी आत्मकथा में बताया है ।

उन्होंने हिंदी सिनेमा में करीब 200 फिल्मो में काम किया है । दुर्गा खोटे सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक और 1931 में साइलेंट मूवी फरेबी जाल में बतौर अभिनेत्री डेब्यू किया । दुर्गा ने चंद्र मोहन, सोहराब मोदी, पृथ्वीराज कपूर जैसे अभिनेताओं के साथ काम किया है ।

मीना कुमारी मीना कुमारी ने जब फिल्मों में काम करना शुरू किया तो उस दौरान भी महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें थी । मीना कुमारी को हिंदी सिनेमा की ट्रेजेडी क्वीन के नाम से भी जाना जाता है । मीना कुमारी अभिनय के साथ-साथ एक गायिका और सायरा भी थी ।

मीना कुमारी के पिता जी और नानी में रंगमंच से जुड़े हुए थे तो इसलिए उन्हें हिंदी सिनेमा में आने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा । मीना कुमारी ने 1939 में लेदरफेस फ़िल्म में बेबी महजबी का किरदार निभा कर डेब्यू किया था । मीना कुमारी को 1954 में बैजू बावरा फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया था ।

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और आज के समय में हिंदी सिनेमा यानी कि बॉलीवुड में तमाम अभिनेत्रियां हर तरह के किरदार निभाने के लिए जानी जाती हैं । वो ऐसे किरदार भी निभाती हैं जो उनके लिए बेहद चैलेंजिंग होता है, लेकिन उन किरदारों को निभा कर वह साबित कर देती हैं कि एक महिला हर तरह के काम कर सकती है ।

लेखिका : अर्चना

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