मुझे आज भी याद है
मुझे आज भी याद है

 मुझे आज भी याद है 

( Mujhe aaj bhi yaad hai )

 

 

मुझे आज भी याद है
वो कमरा जहाँ……..
आखिरी बार मिले थे हम
आज भी गवाह है,
वो बिस्तर की चादर
वो कम्बल…….
जिसमें लिपटे थे हम
एक दूसरे की बाहों में।

 

मुझे आज भी याद है
वो कमरा जहां……..
बैठ खिलाया था बड़े प्यार से
रोटी का एक-एक
टूक अपने हाथ से
पिलाया था पानी भी
अपने ही हाथ से।

 

मुझे आज भी याद है
वो कमरा जहां……..
तुम्हारी आगोश में हम
सोये थे सीने पर सिर रख कर
तुम प्यार बरसा रही थी
और हम भीग रहे थे।
तेरे प्यार की बरखा में।

 

मुझे आज भी याद है
वो कमरा जहां………
कैद थे हम तेरी हवस में
तुम्हारी सिसकियों में,
नहीं भुला पा रहा हूँ तुम्हें
ना कमरे से ना कानों से
ना मेरे मन से……….।।

 

लेखक :सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)
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