प्यासा हूँ मैं
प्यासा हूँ मैं

 प्यासा हूँ मैं 

( Pyasa hoon main )

 

उल्फ़त का ही प्यासा हूँ मैं
वो  बदला  आवारा  हूँ  मैं

 

 यार रहूं ख़ुश कैसे मैं अब
अंदर  से  ही  टूटा  हूँ  मैं

 

भेज ख़ुदा दोस्त यहां अब तो
जीवन  में  रब  तन्हा  हूँ  मैं

 

लोगों ने बदनाम किया है
यार शराब न पीता हूँ मैं

 

दिल यार यहां न लगे है अब
दूर  कहीं  अब  चलता  हूँ  मैं

 

रोज़ दिखाता यार नज़ाकत
उल्फ़त जिसमे करता हूँ मैं

 

कैसे भूलूं उसको दिल से
उसके ग़म में जलता हूँ मैं

 

चैन नहीं दिल को आज़म के
ग़म  की  आहें  भरता हूँ  मैं

 

 

शायर: आज़म नैय्यर

( सहारनपुर )

यह भी पढ़ें: –

समेट लूं | Samet lun ghazal

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here