होली रंगों का त्योहार

Rango par kavita in Hindi || होली रंगों का त्योहार | Kavita in Hindi

होली रंगों का त्योहार ( Holi Rangon Ka Tyohar )   होली रंगों का त्योहार लाये मन में उमंग बहार, नाचो गाओ मिल के सब। रंग-बिरंगे गुलाल उड़ाओ पुआ पकवान खाओ खिलाओ, प्रेम सौहार्द के संग मिल के सब। प्रकृत रूप-लावण्य निखरे नाना पुष्पों के सुगंध बिखरे, भौरें गावत गीत मल्हार मिल के सब। मदन…

प्रेम की होली

Prem ki Holi | कविता प्रेम की होली

प्रेम की होली ( Prem Ki Holi )   खेलेंगे हम प्रेम की होली। अरमानों की भरेगी झोली। खुशियों की बारात सजेगी, बिगड़ी सारी बात बनेगी। नोंक-झोंक कुछ हल्की-फुल्की, होगी हॅंसी-ठिठोली। खेलेंगे हम प्रेम की होली।   महुए की मदमाती गंध, फूलों की खुशबू के संग। आया है दुल्हा ऋतुराज, चढ़कर फाग की डोली। खेलेंगे…

होली

फागुन के दिन | Holi Poem in Hindi

 फागुन के दिन ( Phagun ke din )   फागुन  के  दिन थोडे रह गए, मन में उडे उमंग। काम काज में मन नाहि लागे,चढा श्याम दा रंग।   रंग  बसन्ती  ढंग बसन्ती, तोरा अंग  बसन्ती  लागे, ढुलमुल ढुलमुल चाल चले,तोरा संग बसन्ती लागे।   नयन से नयन मिला लो हमसें, बिना पलक झपकाए। जिसका पहले पलक…

भूख

भूख | Safalta ki Bhookh par Kavita

भूख ( Bhookh )   चाहे हो दु:ख लाख पालो भूख आप बढ़ने की पढ़ने की आसमां छूने की। भूख बड़ी चीज़ है! भूख ही नाचीज़ को चीज बनाती है वरना यह दुनिया बहुत सताती है बहुत रूलाती है सच को भी झुठलाती है। अधिकारों से भी रखती हमें वंचित मस्तिष्क इनका बहुत ही है…

हमारी बेवकूफियां

हमारी बेवकूफियां | Kavita

हमारी बेवकूफियां ( Hamari Bewakoofiyaan )   सचमुच कितने मूर्ख हैं हम बन बेवकूफ हंसते हैं हम झांसा में झट आ जाते हैं नुकसान खुद का ही पहुंचाते हैं सर्वनाश देख पछताते हैं पहले आगाह करने वाले का ही मज़ाक हम उड़ाते हैं न जाने क्या क्या नाम उन्हें दे आते हैं शर्मिंदा हो आंख…

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

Kavita | मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी ( Meen Aur Meena Ki  Jindagi : Ek Jaisi ) *********** जल की रानी कह लोग- जल से खींच लेते हैं, हाय कितने निर्दयी ये होते हैं? कभी गरमागरम तेल में करते फ्राई, या फिर धूप में करते ड्राई! खाते पसंद से , तनिक न सोचते, एक…

कविता

Kavita | कविता क्या है

कविता क्या है  ( Kavita Kya Hai )   आज कविता दिवस है इसका नहीं था मुझे ध्यान मेरे मित्र ने याद करा कर मुझे कराया अभिज्ञान   कविता क्या है कुछ कविता के बारे में लिखो केवल  चार  पंक्तियां ही नहीं कुछ और लिखो   मैंने   भी   सोचा   पहले   कवि  है  या  कविता  है…

विश्व कविता दिवस पर

Vishv Kavita Diwas Par Kavita | विश्व कविता दिवस पर

विश्व कविता दिवस पर ( Vishv Kavita Diwas Par ) कविता प्रकृति पदार्थ और पुरुषार्थ दिखाती कविता, जीव को ब्रह्म से आकर के मिलाती कविता।।   शस्त्र सारे जब निष्फल हो जाया करते, युद्ध में आकर तलवार चलाती कविता।।   पतझड़ों  से  दबा  जीवन  जब क्रंदन करता, हमारे घर में बन बसंत खिल जाती कविता।।…

सुदामा

सुदामा | Kavita

सुदामा ( Sudama )   त्रिभुवनपति के दृगन में जल छा गया है। क्या कहा ! मेरा सुदामा आ गया है।। अवन्तिका उज्जयिनी शिप्रा महाकालेश्वर की माया, काशी वासी गुरु संदीपन ने यहां गुरुकुल बनाया। मथुरा से श्रीकृष्ण दाऊ प्रभास से सुदामा आये, गुरु संदीपन विद्यावारिधि को सकल विद्या पढ़ाये।। शास्त्र पारंगत विशारद पवित्रात्मा आ…

प्यार 

Kavita | प्यार

प्यार  ( Pyar ) बड़ा-छोटा काला-गोरा मोटा-पतला अमीर-गरीब हर किसी को हो सकता है-किसी से प्यार , यह ना माने सरहदें, ना देखे दरो-दीवार, हसीं-बदसूरत,बुढ़ा-जवान,तंदरूस्त-बीमार, यहाँ सबके लिए खुले हैं – प्यार के किवार । मैं नहीं तुम नहीं आप नहीं हम नहीं एक है बंदा-संग लिए बैठा रिश्ते हज़ार, सिर्फ़ दिल की सुनो जब…