लगे हर बात फीकी सी फ़र्ज ईमान के आगे
( Lage Har Baat Phiki Si Farz Iman Ke Aage )
लगे हर बात फीकी -सी फ़र्ज- ईमान के आगे।।
नहीं कुछ मोल है धन का कभी सम्मान के आगे।।
लुभाता अब नहीं मौसम न कोई शय लगे दिलकश।
नज़ारे है सभी फीके खुदा की शान के आगे।।
कदर करता न रिश्तों की न माने कायदों को वो।
कभी अधिकार की बातें न कर बैमान के आगे।।
गुणों को ताक पे रखदे नहीं कीमत किसी फ़न की।
कोई खूबी नहीं टिकती यहां धनवान के आगे।।
हैं हम उस देश के वासी बराबर हैं जहां सब जन।
अदब से सर झुकाते हैं सभी संविधान के आगे।।
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना।
फरिश्ते भी करे सजदा सही ईंसान के आगे।।
बहुत से है सुने नग़में खुशी के भी ग़मों के भी।
लगे हर गान फीका सा ही राष्ट्रगान के आगे।।
कहीं से काश आ जाते हमारे बोस नेता जी।
ठहर पाता न कोई मुल्क हिंदुस्तान के आगे।।
कवि व शायर:
मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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