टुन्न टुन्नू की होली | Kavita Tunn Tunnu ki Holi
टुन्न टुन्नू की होली
( Tunn Tunnu ki Holi )
अबकी बेरिया होली मइहां,
टुन्नू भइया पीकर भंग।
चटक मटक होरिहारन संग,
दिन भर रहे बजावत चंग।
सांझ भई तो...
शेखावाटी गंध | Kavita Shekhawati Gandh
शेखावाटी गंध
( Shekhawati Gandh )
खबरों की खबर है या वो बेखबर है।
हमको भी सबर है उन्हें भी सबर है।
कहीं आसपास दमके नव ज्योति उजाला।
चमक...
हाथों से छीनों न अमराइयाँ | Kavita Amraiyan
हाथों से छीनों न अमराइयाँ
सौदा परिंदों का हम न करेंगे,
साँसों की रफ्तार घटने न देंगें।
हाथों से छीनों न अमराइयों को,
पर्यावरण बिनु कैसे जियेंगे?
रोते हैं...
इस होली का क्या कहना | Kavita Holi ka Kya kahna
इस होली का क्या कहना
( Is holi ka Kya kahna )
देखो राधा संग खेले नंदलाल इस होली का क्या कहना
देखो उड़े चहूँ ओर...
कैसी हालत है खाने के लिए | Kaisi Halat
कैसी हालत है खाने के लिए
( Kaisi halat hai khane ke liye )
कैसी हालत है खाने के लिए
मारे - मारे फिरे दाने के लिएमेरी...
आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन का अभिनव काव्य पाठ- बोट के अंदर “रंग...
विश्व प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था " आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन " के साहित्यकारों द्वारा होली उत्सव पर बोट क्लब पर 'रंग तरंग' साहित्यिक काव्य पाठ का...
इल्म की रौशनियाँ | Ilm ki Roshniyan
इल्म की रौशनियाँ
( Ilm ki Roshniyan )
सही रास्ते की पहचान कराए इल्म की रौशनियाँ,
गहरी खाई में हमें गिराए जहालत की तारीकियाँ,
ज़िंदगी से कुछ...
मुराद | Kavita Murad
मुराद
( Murad )
एक तू ही नही खुदा के आशियाने मे
कैद हैं और भी कई इसी अफसाने मे
दर्द से हुआ है फरिग् कौन इस...
तृष्णा | Kavita Trishna
तृष्णा
(Trishna )
तृष्णाएं सदा संतृप्त, नेह से संसर्ग कर
पगडंडियां व्याकुल दिग्भ्रमित,
उच्चवाचन मरीचि प्रभाव ।
सुख समृद्धि मंगलता दूर,
निर्णयन क्षमता अभाव ।
अथक श्रम सफलता चाहना,
विराम पल...
मत मार पिचकारी | Kavita Mat Mar Pichkari
मत मार पिचकारी
( Mat Mar Pichkari )
मत मार पिचकारी, मेरी भीगी चुनरिया सारी।
रंग मत डारे रे सांवरिया, मोहन मदन मुरारी।
रंग गुलाल उड़े फागुनी,...