Wade shayari
Wade shayari

सभी अपने वादे से ही बदल रहा है वो

( Sabhi apne wade se hi badal raha hai wo )

 

 

सभी अपनें वादे से ही बदल रहा है वो
मुहब्बत का फूल पैरों कुचल रहा है वो

 

कभी नहीं मेहनत से तो कमाया पैसा है
हराम की दौलत पैकर उछल रहा है वो

 

क़बूल कैसे करुं मैं निकाह उसका फ़िर
वफ़ा को मेरी दग़ा से मसल रहा है वो

 

पराया मैं हो गया हूँ निग़ाह में जैसे
के पास से ऐसे मेरे निकल रहा है वो

 

किये थे कुछ पहले वादे वफ़ा निभाने के
जबान से अपनी देखो फिसल रहा है वो

 

गिले लगाया जिसे दोस्त मान कर के
ख़ुशी से मेरी बहुत रोज़ जल रहा है वो

 

निभाऊं कैसे वफ़ा दोस्ती आज़म उससे
वफ़ा के ही नाम पर रोज़ छल रहा है वो

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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