आ रही है फूलों से सदा एक ही!

आ रही है फूलों से सदा एक ही!   आ रही है फूलों से सदा एक ही! मत मसलों  यूं मुझे बेदर्दी से   फूल हूँ मैं आंगन का वो ही हंसी बद्दुआ से दूर रहता  हर आंगन   जीने दो मुझको जहां में इज्जत से फूल हूँ मैं नाजुक सी खिलती कभी   मत … Continue reading आ रही है फूलों से सदा एक ही!