तुम्हारे दर्द

तुम्हारे दर्द रह रह कर के तड़पाते अभी भी हैं

तुम्हारे दर्द रह रह कर के तड़पाते अभी भी हैं तुम्हारे दर्द रह रह कर के तड़पाते अभी भी हैं,तुम्हें हम प्यार दिलबर करके पछताते अभी भी हैं । कई आए गए मौसम जुलाई से दिसम्बर तक,मेरी पलकों की किस्मत में तो बरसाते अभी भी हैं । कहे थे लफ़्ज़ जो तुमने मेरे कानों में…

Atal Bihari vajpayee

हमारे अटल जी

हमारे अटल जी जो अटल रहा,अटल है उसका क्या बखान लिखूं,जिसे अमरत्व प्राप्त हो उसका जीवनदान लिखूं।जिसने भारतीय भाषाओं को जग में मान देकर,प्रति करूं खुद को समर्पित थोड़ा सा ज्ञान लिखूं।। अटल जी की प्रतिभाओं को सारा जग जानता है,कोई ऐसा लाल नहीं,जो इस लाल को न पहचानता है।जिसने पूरे ब्रह्मांड को अपना ही…

बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ

बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ

बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँतेरी आँखों में सागर देखती हूँ हुई मा’दूम है इंसानियत अबहर इक इंसान पत्थर देखती हूँ पता वुसअत न गहराई है जिसकीवो सहरा दिल के अंदर देखती हूँ हुनर ज़िंदा रहेगा है ये तस्कींमैं हर बच्चे में आज़र देखती हूँ न ग़ालिब और कोई…

अटल के इरादे

अटल के इरादे

अटल के इरादे टलना मैंने सीखा नहीं,जिगर शेर-सा मैं रखता हूं।कायर नहीं जो पीठ दिखाऊं,अटल इरादे मैं रखता हूं।। प्रहरी हूं मैं भारतवर्ष का,तन हिमालय-सा मैं रखता हूं।तूफानों से ना कोई डर मुझे,अटल इरादे मैं रखता हूं।। सत्य,अहिंसा,शांति का,मूलमंत्र स्वीकार मैं करता हूं।मानवता की राह चलने का,अटल इरादे मैं रखता हूं।। शत्रु की सांसे मैं…

महिमा

महिमा | Mahima

महिमा नारी संसार का मूल स्थान हैनारी वचन है वन्दन है और–मां भगवती का वरदान है! नारी देश की प्रगति का आधार हैनारी ओम् है अन्नपूर्णा है और–मां दुर्गा का अवतार है! नारी खेतों में लहलहाती फसल हैनारी श्रम है साधना है और —मां सीता का संबल है! नारी घर – परिवार की शान हैनारी…

बागेश्वरी साहित्य परिषद

बागेश्वरी साहित्य परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी में काव्य का रंगारंग आयोजन

बागेश्वरी साहित्य परिषद साली चौका द्वारा दिसंबर 2024 की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन शानदार ढंग से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से हुई, जिसे परिषद के अध्यक्ष श्री धनराज विश्वकर्मा ने बड़े ही श्रद्धा भाव से प्रस्तुत किया। इसके बाद गरिमा विश्वकर्मा ने अपनी शानदार रचना से सभा को मंत्रमुग्ध…

लोकगायन भूरदेव भूरा गोत्र

लोकगायन भूरदेव भूरा गोत्र

लोकगायन भूरदेव भूरा गोत्र भूरदेव धोले घोडे अस्वार रे भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव तारे ने मारे माया लागी रे भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव तारो ने मारो जीव एक, भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव केडयां कटारी बांधी रळ रे भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव केडया कणदोरो जणमण रे भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव हाथा भोरीनां जणमण रे भूरदेव बडो सोबीतोभूरदेव काने कठोरा जणमण रे…

दिल्लगी अच्छी नहीं है

दिल्लगी अच्छी नहीं है

दिल्लगी अच्छी नहीं है यक़ीं मानो मिरे जानी नहीं हैं।ज़ियादा दिल्लगी अच्छी नहीं है। किसी पर मालो-दौलत के जबल हैं।किसी पर एक भी रत्ती नहीं है। दसों कर डाले उसको फ़ोन लेकिन।वो आने के लिए राज़ी नहीं है। ख़ुशी से सैंकड़ों मेह़रूम हैं,पर।ग़मों से कोई भी ख़ाली नहीं है। हज़ारों राज़ पोशीदा हैं इसमें।हमारी बात…

कुल्हड़

कुल्हड़ | Kulhar

कुल्हड़ प्यारे कुल्हड़ बनते प्यारी मिट्टी सेतिलक करते सब प्यारी मिट्टी सेकुम्हार बनाए प्यारे होते कुल्हड़जब देखें सब मन भाए कुल्हड़ चाय के कुल्हड़ सबको होते प्यारेयार दोस्त सब मिलकर पीते सारेकुल्हड़ की चाय सबको होती प्यारीखुश होकर चाय पीएं जनता सारी कुल्हड़ शुद्धता के सदा ही होते प्रतीकबनाएं कुम्हार कुल्हड़ मिट्टी करके बारीककुल्हड़ सबके…

उसे पास बुलाते क्यों हो

उसे पास बुलाते क्यों हो

उसे पास बुलाते क्यों हो टूटने है जो मरासिम वो निभाते क्यों होदूर जाता हो उसे पास बुलाते क्यों हो। वक्त माकूल नहीं हो तो बिगड़ती चीज़ेंदौर-ए-तूफाॅं में चिराग़ों को जलाते क्यों हो। तुम हमारे हो फ़कत है ये नवाज़िश हम परबस गिला ये है कि एहसान जताते क्यों हो। आइना सबको दिखाकर के गिनाकर…