आतंक | Aatank

आतंक ( Aatank )   सुंदर घर थे घर के अंदर नन्हे बच्चे रह गए रात के अंधेरे में राख के ढेर बस वह नन्ही कोप्ले खिल भी ना पाई मुट्ठी पूरी खुल भी ना पाई सिसकियों में दब गई मुस्कुराहट रह गई गाजा मे सिर्फ राख और विनाश त्रासदी का मंजर घर में चहकती … Continue reading आतंक | Aatank