अद्वैत दर्शन की गाथा ब्रह्म से हम, ब्रह्म में समाहित,यही सत्य है, जीवन का उद्देश्य।अहं ब्रह्मास्मि, आत्मा का स्वर,अद्वैत में बसा, जीवन का मर्म। न कोई भेद है, न कोई दूरी,सब एक हैं, यही सत्य की पूरी।ब्रह्म साकार, ब्रह्म निराकार,एक ही शक्ति, आत्मा का दुआर। जीवन की धारा, एक ही प्रवाह,आत्मा और ब्रह्म, दोनों का … Continue reading अद्वैत दर्शन की गाथा
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed