अ़हदो पैमान की स़दाक़त को

अ़हदो पैमान की स़दाक़त को अ़हदो पैमान की स़दाक़त को। आज़मा ले मिरी मुह़ब्बत को। यूं न पर्दा हटा ह़सीं रुख़ से। क़ैद रहने दे इस क़यामत को। उनकी नज़रों से पी ले जो वाइ़ज़। भूल जाए वो राहे जन्नत को। आ गई नींद अब मुझे दिलबर। अब न आना मिरी अ़यादत को। पैरवी जिसने … Continue reading अ़हदो पैमान की स़दाक़त को