अजनबी ( Ajnabi ) दौर कैसा आ गया, दूरियां लेकर यहां, अजनबी सी जिंदगी, छूप रहे चेहरे यहां। सबको भय सता रहा, अजनबी बना रहा, रिश्तो के दीवानों को, क्या-क्या खेल दिखा रहा। अपनेपन के भाव को, जाने क्या हवा लगी, अपनों से सब दूर हो, बन गए हैं अजनबी। कोई … Continue reading अजनबी | Kavita Ajnabi
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