अनहार | Anhar par Bhojpuri Kavita
“अनहार, दिया आऊर आस “ ( Anhar, diya aur aas ) दीया जला देहनी हऽ ओहिजा काहे से उहवा रहे अनहार जहवां से कइगो राही गुजरे जाने कब केहू उहवा जाए हार एगो, दुगो, तिन गो, नाही चार, उहवा से राही गुज़रेला हर बार मगर केहु न जाने किस्मत के कब कहवां के खा … Continue reading अनहार | Anhar par Bhojpuri Kavita
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