अपनत्व दिखावा तो नहीं | Apnatva par kavita
अपनत्व दिखावा तो नहीं ( Apnatva dikhawa to nahi ) अपनापन अनमोल भाई कोई दिखावा तो नहीं। अपनों से परिवार सुखी कोई छलावा तो नहीं। अपनो की महफिल में महके खिलते चमन दिलों के। दिखावे की दुनिया में मिलते कदम कदम पे धोखे। घट घट प्रेम सरिताएं बहती पावन प्रेम की रसधार। सुख आनंद … Continue reading अपनत्व दिखावा तो नहीं | Apnatva par kavita
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