अपनी गलती पर अंधभक्त | Andhbhakti par Kavita

अपनी गलती पर अंधभक्त ( Apni Galti Par Andhbhakt )   सारे ख़ामोश हो जाते हैं, ढ़ूंढ़ने पर भी नजर नहीं आते हैं। बोलती हो जाती है बंद, आंखें कर लेते हैं अंध। सिर झुकाते हैं, मंद मंद मुस्कुराते हैं; दांत नहीं दिखाते हैं! पहले भी ऐसा होता था… कह चिल्लाते हैं। अब तकलीफ क्यों … Continue reading अपनी गलती पर अंधभक्त | Andhbhakti par Kavita