अस्तित्व की लड़ाई | Astitva kavita

अस्तित्व की लड़ाई ( Astitva ki ladai ) ***** सूखी टहनियों सा मैं हो गया हूं नाज़ुक हल्का और कमजोर ज्यादा ना लगाओ तुम मुझ पर अपना ज़ोर टूट जाऊंगा बन तिनका बिखर जाऊंगा तेरे किसी काम अब न आ पाऊंगा सिवाए जलावन के ले आओ माचिस और मटिया तेल खत्म कर दो सारा यह … Continue reading अस्तित्व की लड़ाई | Astitva kavita