बचपन के दिन | Kavita

बचपन के दिन  ( Bachpan ke din )   कितने अच्छे थे – वे बचपन में बीते पल, ना भविष्य की चिंता, ना सताता बीता कल; खेल-खेल  में  ही  बीत  जाता  पूरा  दिन, कोई तो लौटा दे मुझे-मेरे बचपन के दिन !   नन्हीं आंखों में बसती थी- सच्ची प्रेम करुणा हमारे हिय के मद … Continue reading बचपन के दिन | Kavita