बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ

बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँतेरी आँखों में सागर देखती हूँ हुई मा’दूम है इंसानियत अबहर इक इंसान पत्थर देखती हूँ पता वुसअत न गहराई है जिसकीवो सहरा दिल के अंदर देखती हूँ हुनर ज़िंदा रहेगा है ये तस्कींमैं हर बच्चे में आज़र देखती हूँ न ग़ालिब और कोई … Continue reading बड़ा दिलकश मैं मंजर देखती हूँ