बागबा | Bagba

बागबा ( Bagba )    तुम तो बागबा थे तुम्हारे खिलाए हुए फूल,आज भी किए हैं गुलजार गुलशन को…. आप अपने ही लगाए कांटों की बाड़ मे कर लिए पैर जख्मी कसूर तो आप ही का था.. बदलेगी न जब तक मानसिकता आपकी संभव होगी न उन्नति कभी टटोलते हो गैर की कमियों को भूल … Continue reading बागबा | Bagba