बहाने कितने ( Bahane Kitne ) मुस्कुराने के बहाने कितने फर्क क्या,आएं रुलाने कितने ॥ अब यकीं रूठ किधर जा बैठा रंग बदले हैं ज़माने कितने ॥ बेअसर ख़ार भी है अब उसको सह लिया तल्ख़ व ताने कितने ॥ होती उस सम्त निगाहें सबकी कह गईं, उसके दिवाने कितने ॥ उसकी गैरहाज़िरी में … Continue reading बहाने कितने | Bahane Kitne
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed