बहती रहती जीवन धारा | Bahati Rahti Jeevan Dhara

बहती रहती जीवन धारा ( Bahati Rahti Jeevan Dhara ) महामृत्यु के आंचल में भी जीवन की रेखाएं। मानव मन की जिजीविषा ही पुष्पित हो मुस्काए। विविधि वर्जनाओं में चलता रहता सर्जन क्रम है। आस्थाओं का दीप प्रज्वलित हरता तम विभ्रम है। नित्य नवीन अंकुरित आशा उत्साहित कर जाती, कर्मठता पलती अभाव में करती रहती … Continue reading बहती रहती जीवन धारा | Bahati Rahti Jeevan Dhara