वैशाखी | Baisakhi par Kavita

वैशाखी ( Baisakhi )    लहलहाती फसल खेत में खुशियों की घड़ी आती है झूम उठते सब मस्ती में फसलें कटने को आती है गंगा धारा बह अवनी पे अवतरित हो जब आई वैशाखी का पावन दिवस हर्ष उमंग घट घट छाई खास खालसा सिक्खों का भावन नृत्य भांगड़ा भाई हलवा पूरी खीर जिमाए संग … Continue reading वैशाखी | Baisakhi par Kavita