बरसा कभी सावन नहीं | Poem on sawan

बरसा कभी सावन नहीं ! ( Barsa kabhi sawan nahin )     सच यही बरसा कभी सावन नहीं! यार दिल का ही खिला गुलशन नहीं   ग़म मिलें है रात दिन बस अपनों से प्यार फूलों से भरा दामन नहीं   हाथ कैसे वो मिलायेगा भला दोस्ती करने का उसका मन नहीं   छीन … Continue reading बरसा कभी सावन नहीं | Poem on sawan