बटवारे का ख़्याल | Batwara par kavita
बटवारे का ख़्याल ( Batware ka khayal ) ना कोई रियासते है न ही हाथी-घोड़े, बटवारा केवल है ये बर्तन थोड़े-थोड़े। बटवारे हुये जिनके अनेंको है किस्से, अब क्या समझाएं तुम हो पढ़ें लिखें।। बटवारे के लिए हुआ यह महाभारत, दिन में होता युद्ध शाम पूछते हालत। सभी परिवारों का आज यही है हाल, … Continue reading बटवारे का ख़्याल | Batwara par kavita
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