बेचारा | Bechar Bhojpuri Kavita

बेचारा ( Bechara )   जब से गरीबी के चपेट में आइल भूख, दर्द, इच्छा सब कुछ मराइल खेलें कुदे के उम्र में जूठा थाली सबके मजाइल का गलती, केके क‌इलक बुराई जे इ कठीन घड़ी बा आइल ना देह भर के पावेला जामा ठंडा, गमी, बरसात सब आधे पे कटाइल ठिठुर-ठिठुर गावेला गाना जल्दी-जलदी … Continue reading बेचारा | Bechar Bhojpuri Kavita