Hindi Poetry On Life | Hindi Kavita | Hindi Poem- भाग्य

भाग्य ( Bhagya )   एक  डाली  टूट  कर,  गिर  के  जँमी पे आ गयी। अपनों से कटते ही, दुनिया की नजर में आ गयी।   बचना  है  उसको, बचाना  है  यहाँ  अस्तित्व को, द्वंद   में   ऐसी  पडी,  घनघोर  विपदा  आ  गयी।   किसको अपना मानती, सन्देह किस पर वो करे। इससे  थी अन्जान  अब, … Continue reading Hindi Poetry On Life | Hindi Kavita | Hindi Poem- भाग्य