भला क्या माँगा तुझ से दिलदार से मैंने भी भला क्या माँगातेरे जलवों से शब-ए-ग़म में उजाला माँगा तेरी रहमत ने जो भी फ़र्ज़ मुझे सौंपे हैंउनको अंजाम पे लाने का वसीला माँगा हर ख़ुशी इनके तबस्सुम में छुपी होती हैरोते बच्चों को हँसाने का सलीक़ा माँगा तू है दाता हैं तेरे दर के भिखारी … Continue reading भला क्या माँगा
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