Ghazal | भरोसा क्या बहारों का

भरोसा क्या बहारों का ( Bharosa Kya Baharon Ka )     गुलों को खुद खिला लेना भरोसा क्या बहारों का। खुदी से दोस्ती करना भरोसा क्या है यारों का।।   नहीं रौशन फिजा होती कभी भी आजमा लेना। है चंदा आसमां में तो नज़ारा क्या सितारों का।।   करो उम्मीद जब भी तुम हमेशा … Continue reading Ghazal | भरोसा क्या बहारों का