कबड्डी | Bhojpuri bal kavita kabaddi
” कबड्डी ” (लइकन के कविता) आव कबड्डी खेली हम, रेखा के एने ठॆली हम, दऊड़-दऊड़ के पकड़ी हम, एने-ओने जकडी हम शोर मचाई दऊड़ल जाई उठा पटक हूडदूग मचाई कबो जियाई कबो मुआई जिया मुआ के गोल बनाई माटी में हम खूब लोटाई कबड्डी-कबड्डी आव चिल्लाई कवि – उदय शंकर “प्रसाद” पूर्व … Continue reading कबड्डी | Bhojpuri bal kavita kabaddi
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