पुरुआ में सिहरे बदनियाँ पुरुआ में सिहरे बदनियाँ, कुलेल करे देखा चँदनियाँ। (2) झुरुर- झुरूर बहे पवन पुरवाई, होतैं जो सइयाँ ओढ़उतैं रजाई। काबू में नाहीं जवनियाँ, कुलेल करे देखा चँदनियाँ। पुरुआ में सिहरे बदनियाँ, कुलेल करे देखा चँदनियाँ। उड़ि -उड़ि अँचरा बुलावे सजनवाँ, होई कब उनसे मधुर ऊ मिलनवाँ। रोज-रोज लड़े लै नथुनियाँ, … Continue reading पुरुआ में सिहरे बदनियाँ
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