बिन तुम्हारे | Bin Tumhare

बिन तुम्हारे ( Bin Tumhare )    सुनो मेरी कितनी शामें तन्हा निकल गई, बिन तुम्हारे कितने जाम बिखर गए सर्दी में ,बिन तुम्हारे लिहाफ भी अब तल्ख लगने लगा है सर्द दुपहरी भी अब तपने लगी,बिन तुम्हारे मौसमों ने भी ले ली है कुछ करवट इस तरह कोहरे की जगह ले ली है अब … Continue reading बिन तुम्हारे | Bin Tumhare