बोलो पीर कब तक सहूं | Bolo Peer Kab tak Sahu

बोलो पीर कब तक सहूं ( Bolo peer kab tak sahu )    मुश्किलें सर पे छाये, अपने मुझसे रुठ जाए। वाणी के तीर चलाए, बोलो पीर कब तक सहूं। बोलो पीर कब तक सहूं मार्ग सब अवरुद्ध हो जाए, पग-पग पे तूफां आए। कोई रहे कमियां टटोलता, बात का बतंगड़ बनाए। मंझधार में अटकी … Continue reading बोलो पीर कब तक सहूं | Bolo Peer Kab tak Sahu