बोलते हैं | Bolte Hain

बोलते हैं ( Bolte hain )    कहां कब ये बिचारे बोलते हैं नहीं उल्फत के मारे बोलते हैं। मुहब्बत है मगर अफसोस हैवो नहीं हक़ में हमारे बोलते हैं। परिंदे बेजुबां बोले न बोलें निगाहों के इशारे बोलते हैं। जिसे मतलब नहीं वो बेवज़ह क्यूं मसाइल में तुम्हारे बोलते हैं। दिखे हैं अंजुमन में … Continue reading बोलते हैं | Bolte Hain