बुद्धिमती नारी | Buddhimati Nari

बुद्धिमती नारी ( Buddhimati Nari )   नहीं लगती सबको प्यारी! जब भी मुखर, प्रखर दिखती है, तुरंत बन जाती है कुछ आंँखों की किरकिरी। अहं के मारे इन दिलजलों को, सुंदर लगती है मौन व्रत धारित, हांँ में हांँ मिलाती दीन-हीन, बुद्धिहीन नारी- बेचारी! देख-देख खुश, होते रहते हैं शिकारी। जब पड़ने लगते हैं … Continue reading बुद्धिमती नारी | Buddhimati Nari