बुलंद हुंकार | Poem Buland Hunkar
बुलंद हुंकार ( Buland hunkar ) मझधार में डूबी नैया अब पार होनी चाहिए कवियों की भी संगठित सरकार होनी चाहिए सत्ता को संभाले कविता लेखनी की धार बन मंचों से गूंज उठे वो बुलंद हूंकार होनी चाहिए मातृभूमि को शीश चढ़ाते अमर सपूत सरहद पे महासमर में योद्धाओं की ललकार होनी … Continue reading बुलंद हुंकार | Poem Buland Hunkar
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