चाहिये ( Chahiye ) तेरे मेरे बीच की अब धुन्ध छटनी चाहिये । आग की दीवार दरिया में बदलनी चाहिये ।। जमाना कठपुतलियों का बहुत पीछे रह गया । उनको सीधे उंगलियों से ही उलझना चाहिये ।। मेरी मेहनत तुम्हारी दौलत का झगड़ा बात से । नहीं सुलझा , सड़क पर उसको … Continue reading चाहिये | Chahiye poetry
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