चांद में चांद ( Chand mein chand ) दोषारोपण चाँद को स्वयं बनी चकोर है अवसर की तलाश में ताकति चहुओर है प्रियतम रिझाने को सजने-संवरने लगी आभा लखि आपनी हुई आत्मविभोर है। पायजेब की घुघरू छनकाती छन-छन चूड़ियाँ कलाईयों की खनक बेजोर है। बिंदिया ललाट की चमकती सितारों सी गुलाबी … Continue reading चांद में चांद | Chand Kavita
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed