चांद में चांद | Chand Kavita

चांद में चांद  ( Chand mein chand )   दोषारोपण चाँद को स्वयं बनी चकोर है अवसर की तलाश में ताकति चहुओर है   प्रियतम रिझाने को सजने-संवरने लगी आभा लखि आपनी हुई आत्मविभोर है।   पायजेब की घुघरू छनकाती छन-छन चूड़ियाँ कलाईयों की खनक बेजोर है।   बिंदिया ललाट की चमकती सितारों सी गुलाबी … Continue reading चांद में चांद | Chand Kavita