” चीर को तुम “ ( Cheer ko tum ) समझ पाते अविरल चक्षु नीर को तुम। कब तक खींचोगे हमारे चीर को तुम।। बहुत कुछ खोया तब पाया है तुम्हे, भूखी रहकर भी खिलाया है तुम्हे। आज मैं हर मोड़ पे मरने लगी हूं, मेरे उदरज तुमसे ही डरने लगी हूं। … Continue reading चीर को तुम | Cheer ko tum
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