चीख | Cheekh par kavita

चीख ( Cheekh )    चीरती नीले गगन को हृदय विदारक चीख सी है। ले लिया सब कुछ हमारा देता हमको भीख सी है।‌।   छोड़कर घर द्वार तेरे पास आयी यहां मैं, सगे सम्बन्धी सब छूटे अब बता जाऊं कहां मैं‌, दो रोटी के बदले देता लम्बी लम्बी सीख सी है।।ले लिया ०   … Continue reading चीख | Cheekh par kavita