चिंता की रेखाएं | Chinta par kavita
चिंता की रेखाएं ( Chinta ki rekhayen ) जीवन पथ है सरल,सरस कोमल किसलय सा फिर मधुर जीवन क्यों ,हो जाता है विषमय सा खिच जाती है आर ,पार जीवन के पथ पर दिख जाती है खिंची, तनी उभरी मस्तक पर कहती करुण असहन, वेदना मनुष्यता का जीवन-सुख बिनु तड़प, तड़प मन … Continue reading चिंता की रेखाएं | Chinta par kavita
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