Hindi Kavita | Hindi Poetry -दबी दबी सी आह है

दबी दबी सी आह है ( Dabi Dabi Si  Aah Hai )   कही  मगर सुनी नही, सुनी  थी  पर दिखी नही। दबी दबी सी आह थी,  जगी  थी जो बुझी नही।   बताया था उसे मगर, वो  सुन  के अनसुनी रही, वो चाहतों का दौर था, जो प्यास थी बुझी नही।   मचलते मन … Continue reading Hindi Kavita | Hindi Poetry -दबी दबी सी आह है