दबी कुचली हुई कलम | Dabi Kuchli hui Kalam

दबी कुचली हुई कलम ( Dabi kuchli hui kalam )   दबी कुचली हुई कलम, कभी असर दिखा देगी। पीर गर बना सैलाब, सिंहासन सारा हिला देगी। कलम का काम चलना है, मशाल बनकर जलना है। दर्द दुनिया का स्याही, कागज पे शब्दों में ढलना है। आहत जो कलम हुई, कभी खड़ा तूफान हो जाता। … Continue reading दबी कुचली हुई कलम | Dabi Kuchli hui Kalam