दहलीज ( Dahleez ) दहलीज वो सीमा रेखा मर्यादाएं जिंदा रहती है आन बान और शान की सदा कहानी कहती है घर की दहलीज से बेटी जब ससुराल को जाती है आंगन की मीठी यादें रह रहकर याद सताती है दहलीज समेटे रखती है आदर्शों को संस्कारों को रिश्तो की नाजुक डोर … Continue reading दहलीज | Dahleez kavita
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