दर्द की व्यथा दर्द इस कदर, बेहाल था, थी उम्मीद सहारा दोस्त हैं, कुछ मायूस कर चले, कुछ को थी खबर , उंगलियां फोन तक न चले, कुछ तो थे साथ मरहम ले चले कभी जिनका थे सहारा, आज वही बेसहारा कर चले, दर्द इस कदर बेहाल था कुछ अपने परिजन घरों में चला, … Continue reading Ghazal | दर्द की व्यथा
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