दस्तूर | Dastoor

दस्तूर ( Dastoor ) दस्तूर दुनिया का ,निभाना पड़ता है ।अनचाहे ही सही ,सब सह जाना पड़ता है ।सच को ही हमेशा ,हमें छुपाना पड़ता है ।वक्त तो चलता जाता ,हमें रूक जाना पड़ता है ।बिना प्रेम के भी कभी ,रिश्ता निभाना पड़ता है ।आते हैं दुनिया में तो ,जीकर जाना पड़ता है ।जज्बातों को … Continue reading दस्तूर | Dastoor