दौर-ए-जदीद | Daur-e-Jadid

दौर-ए-जदीद ( Daur-e-jadid ) नफ़रत का दौर है न मुह़ब्बत का दौर है।दौर-ए-जदीद सिर्फ़ सियासत का दौर है। बातिल के साथ सैकड़ों, तन्हा है ह़क़ परस्त।कैसे कहूं यह दौर सदाक़त का दौर है। लहरा के क्यों न रक्खें क़दम वो ज़मीन पर।यह ही तो उनकी नाज़ो नज़ाकत का दौर है। जिस सम्त देखता हूं क़ज़ा … Continue reading दौर-ए-जदीद | Daur-e-Jadid