दीप सा दिन रात मैं | Deep sa din raat main | Poem Hindi mein
दीप सा दिन रात मैं ( Deep sa din raat main ) दीप सा दिन रात मैं, जलता रहा जलता रहा. बस अंधेरों को यही, खलता रहा खलता रहा. चैन से बिस्तर में आकर, वो कभी सोता नहीं दूसरों को जो सदा, छलता रहा छलता रहा. वक्त पर जो वक्त की, करता … Continue reading दीप सा दिन रात मैं | Deep sa din raat main | Poem Hindi mein
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